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लेखनी कविता -18-Feb-2022 (अनाज )

धान  की  बाली  अब लहरा रहा है 
फसल  पूरा  पककर  हो गया जर्द
बेमौसम  बारिश से  फसल  बर्बाद
दे आँखो में आँसू और दे गया दर्द

पौधों से बीज बनता बीज से पौधा 
जिसे आज हम सब कहते अनाज
किसान छोड़ दे ये किसानी करना
नही  होगा देश ना होगा ये समाज

उचितमूल्य दे दो उस किसान को
बढ़ता ये भी तो देश की शान को
इतनी सी बात समझ नही आई
तो भुगतना पड़ेगा हिंदुस्तान को

©® प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला - महासमुन्द (छःग)

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1 Comments

Seema Priyadarshini sahay

18-Feb-2022 11:55 PM

वाह

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